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सूर्य / वरवर राव
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सुबह के लिए लड़ने वाले हाथों को बांध कर
सुबह देखने को उत्सुक व्यग्र आँखों पर
तूने सहर के वक़्त पर्दा डाल दिया ।
फिर सुबह को पुकार कर बुलाने वाले गले में
फाँसी का फन्दा डाल दिया ।
जब तूने बटन दबा कर पीछे देखा
सारा आसमान सुर्ख़ था
रक्तजनित कोख में
कोई आँख खोल रहा था ।