भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूर्य / वरवर राव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: वरवर राव  » संग्रह: साहस गाथा
»  सूर्य


सुबह के लिए लड़ने वाले हाथों को बांध कर

सुबह देखने को उत्सुक व्यग्र आँखों पर

तूने सहर के वक़्त पर्दा डाल दिया ।


फिर सुबह को पुकार कर बुलाने वाले गले में

फाँसी का फन्दा डाल दिया ।


जब तूने बटन दबा कर पीछे देखा

सारा आसमान सुर्ख़ था

रक्तजनित कोख में

कोई आँख खोल रहा था ।