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सृष्टि की पराधीन इकाई / भावना मिश्र
Kavita Kosh से
लो डाल दिए हैं मैंने हथियार
और स्वीकार कर ली है हार
इस युद्ध में
और साथ ही
भविष्य में सम्भावित सभी युद्धों में
मैं पराजित ही हूँ
क्योंकि, मैंने जन्म लिया है
बेटी, बहन, पत्नी और माँ बनने के लिए
मैं हूँ
इस सृष्टि की पराधीन इकाई