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सेजिया पे लोटे काला नाग (कजरी पुरबिया) / खड़ी बोली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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सेजिया पे लोटे काला नाग हो
कचौड़ी गली सून कैले बलमु ।
मिर्जापुर कैले गुलजार हो,
कचौड़ी गली सून कैले बलमु ।
एही मिर्जापुर से उडल जहजिया,
सैंया चल गइल रंगून हो,
कचौड़ी गली सून कैले बलमु ।
पनवा से पातर भइल तोर धनिया,
देहिया गलेला जइसे नून हो,
कचौड़ी गली सून कैले बलमु ।
मनवा की बेदना बेदउ ना जाने,
करेजवा में लागल जैसे ख़ून हो,
कचौड़ी गली सून कैले बलमु ।