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सेयर बाजार / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
बिणजारी बस्ती में
खोली आंख
पांखां पसराई
सौदा देखिया
सौदौ ई
धरती आभै रौ
सार
सौदौ ई
सन्तोख
बाकी भार
सौदौ ई
इण काया रौ मूळ
सौदै रौ परताप
थारी कूंख
सौदै रै पैटै ई
पळियौ पेट
थारी जूंण तौ
सेयर बाजार है मां
जठै
जकौ आवै
फगत
बोली लगावण आवै