भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सेल्समैन का टारगेट / अमित कुमार अम्बष्ट 'आमिली'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सेल्स मैन के जीवन का
मुख्य उद्देश्य है टारगेट ,
लक्ष्य प्राप्ति से ही आकलन
उसके गुण और गुणवत्ता का,
उसके कार्य और कार्यकुशलता का ,
हर महीने की पहली तारीख को
देता है दस्तक और
आखिरी दिन तक हो जाता है
सर पर सवार !
किसी दवा की कंपनी ने
अपने किसी सेल्स मैन से
कभी नहीं पूछा कि
उसके दवा ने दिया
कितनों को जीवन या फिर
कभी ला भी सकी हँसी
किसी के होठों पर,
न ही किसी खाद्य कंपनी ने
पूछा कि मेरे उत्पाद
तृप्त कर पाये क्षुधा
किसी निर्धन की ?
कपड़े वाले बेचते रहे
कपड़े के आड़ में
अपना मूल्यवान स्टीकर
ब्रांड के नाम पर,
पर नहीं कहा कभी
पहुँचाने को एक बुशर्ट भी
किसी वंचित के तन तक !
सभी बेचते रहे
अपने उत्पाद
चढ हमारे ही कंधों पर
जानता हूँ
भावना और व्यापार
दोनों चल नही सकते साथ-
तो कई बार दाल रोटी के
पिंजरे में कैद
खुद से पुछता हूँ
अपनी जिंदगी का टारगेट ।