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से जल्दी जइयौ श्यामलगढ़मे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

से जल्दी जइयौ श्यामलगढ़मे
एत्ते बात जे सुनै अन्हेरबाट
तरबा लहरिा मगज पर चढ़लै
हा सुनियौ सुनियौ बौआ मोतीराम
सात सय पाठा हमहुँ खेलाबै छी
सात सय गइया मैनीगढ़मे चराबै छी
हा सात सय गाय के दूध पीबै छी
हा हमरा अछैत हमरा हजमा के बान्हि देलकै यौ।
हौ बाप से भेंट हम राजा के करबै
आ जतरा कऽ देल श्यामलगढ़ के।
भागल अन्हेरबाट श्यामलगढ़मे जाइये
सब पलटन ड्योढ़ी पर बैठल
बात-बातमे झगड़ा बझलै
हा सबे ठेकान अन्हेरबाट कही देलकै
तरबा लहरि अन्हेरबाट के चढ़लै
बात-बातमे झगड़ा बझि गेल
हा उनटा बान्ह अन्हेरबाट के बान्हैय
चाँप चढ़ा राजा जे देलकै
जेल के घरमे देलकै अन्हेरबाटके
हा हाजत घरमे अन्हेरबाट पड़लै
हकन-बिकन कानै अन्हेरबाट जेलबा के घरमे यौ।।
सुनिलय गे सुनिलय बेटी असावरि
हम नइ जनलीयै एहेन छीयै
प्रेम चंडाल राजा जी हेतै
केयो समधिया महिसौथा मइया जइतै गै-2
हौ एत्तेक बात अन्हेरबाट बजै छै
मैया दुर्गा दरशन देलकै
सबे खबरिया दुर्गा के कहै छै
दुर्गा मैया भागल जइयौ राज महिसौथा
कोहबर घरमे दोस्तीनी हमर होयतै
हा सबे खबरिया दोस्तीनीयाँ के दइहै
बन्हबा खोलाके हमरा लऽ जेतै गै।।
हौ एत्तेक बात दुर्गा कहै छै
मनमे विचार साँमैर करैय
हा प्रेम चंडाल राजा लगैय
केना बिआह बुधेसर के करेयबय।
केना के बान्ह अगुआ सभके खुलतय यौ।