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सैनाणी / राजू सारसर ‘राज’

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धरणीं गिरिया
रगत बीज सूं
उपजैला नवौ बिरवौ।
पान्नां-पान्नां, फूलां फूलां
मस्तानी मै ’क बांटतौ
जै-जस रो धन लाटतौ।
उण सोरम रो मद छक ’र
मन री आंख्यां सूं लख ’र
आतमा री आहूति देवण
रीत गाडूली अणभै खेवण
उभौ हुवै कोई सूरमौं
बै ई रगत बीज खिंडावण
बण मन गीत
इण सूं बडी सैनाणी
काईं दूं
जुद्ध भौम में जांवतो।