वह कहलाता लेखापाल, खाते है रखता,
सात, तीन शून्यों की गणना करता
वह सोता है मोटी फ़ाइल-सा लगता,
भारी नीली धूल भरा-सा दिखता।
उससे मिलने आया है एक मित्र भला इंसान,
नहीं शून्य वह, नहीं जोड़ वह, और न कटलेट उसको मान।
अब तो बिल्कुल नहीं रहा है, वह सच लेखापाल,
उसके अतीत के वर्ष रहे हैं — जलती युद्ध मशाल।
दिल है फटा, धड़कता रहता, वह है एक सिपाही —
पेतुश्की सामने दिखता, जहाँ पहुँचना, भाई !
भागो ! बढ़ो तेज़ आगे अब मौत से हमको बचना,
जीवन में बस एक काम है — आगे से आगे भगना।
तुम कहते हो — यह भीतरी चोटों का है लगना
वह बीतेगा, उसकॊ जीवन की डोरी को है अवश्य पा लेना।
पर डोरी के तार-तार हैं उलझे हुए बहुत ही
अरे, सुलझना नहीं है सम्भव — काटना ही है सही।
सुख-दुख के सहयोगी मित्रो और लंगोटिया यारो,
तुम मेरे हम उम्र साथियो भवन बनाने वालो ।
चालीस वर्ष रहे हम उद्यत, कमर बाँधकर, भाई,
और अगर सपने में हमको दे जाए स्वर्ग दिखाई,
नहीं करेंगे हम विश्वास,
नहीं दिखाओ सुस्ती, नहीं ढिलाई,
नहीं यहाँ पर हम हैं ताकि पे रहें निद्रा में।
क्या विशेष है वहाँ स्वर्ग में? हमें फिर जल्दी करना —
पेतुश्की सामने दिखता जहाँ है हमें पहुँचना !
मूल रूसी से अनुवाद : रामनाथ व्यास ’परिकर’
और अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Илья Эренбург
Сердце солдата
Бухгалтер он, счетов охапка,
Семерки, тройки и нули.
И кажется, он спит, как папка
В тяжелой голубой пыли.
Но вот он с другом повстречался.
Ни цифр, ни сплетен, ни котлет.
Уж нет его, пропал бухгалтер,
Он весь в огне прошедших лет.
Как дробь, стучит солдата сердце:
«До Петушков рукой подать!»
Беги! Рукой подать до смерти,
А жизнь в одном — перебежать.
Ты скажешь — это от контузий,
Пройдет, найдет он жизни нить,
Но нити спутались, и узел
Уж не распутать — разрубить.
Друзья и сверстники развалин
И строек сверстники, мой край,
Мы сорок лет не разувались,
И если нам приснится рай,
Мы не поверим.
Стой, не мешкай,
Не для того мы здесь, чтоб спать!
Какой там рай! Есть перебежка —
До Петушков рукой подать!
1958