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सोचकर आंख नम हो गई / ऋषिपाल धीमान ऋषि
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सोचकर आंख नम हो गई
क्यों उधर आंख नम हो गई।
भेद दिल का तुम्हारे लिए
खोल कर आंख नम हो गई।
झूठ सच आज संसार के
तोल कर आंख नम हो गई।
बेजुबाँ है, मगर आज कुछ
बोल कर आंख नम हो गई।
गांव में, धूल में खेलना
याद कर आंख नम हो गई।
अब न दादी न दादा रहे
सुन खबर आंख नम हो गई।
टूटते ख़्वाब के दर्द का
है असर आंख नम हो गई।
बात बिछड़े हुओं की चली
बेख़बर आंख नम हो गई।