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सोचना / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
सोचना, सोचिना, सोचना!
मानो-
बालों को
गालों को
जीवन को
धड़कन को
प्राणों को
गानों को
अपनों को
सपनों को
हाथों से, पंजों से
नोंचना, नोंचना, नोंचना!
सोचना, सोचना, सोचना!