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सोचने में / अनुक्रमणिका / नहा कर नही लौटा है बुद्ध

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दूसरा इसी में ख़ुश कि साथी ने खिलौना गाड़ी को धागे से बाँधकर खींचते हुए
उसे साथ रखा। गाड़ी के साथ वह बँधा। गाड़ी को ढलान मिली। वह खुदबुख़ुद
चली जा रही। दोनों की ख़ुशी में उसकी सोच शामिल। सोचता, उन दो को
सोचना, उनकी ख़ुशी सोचना। सोचना कि पता नहीं क्या सोचना। सोचना बिना
किसी क्रम और अचानक ही क्रम टूटना। गली की ढलान पर गाड़ी। इतिहास में
गली थी पगडंडी। भविष्य में गली हो सकती है पगडंडी, अमूमन सोचना ऐसा
नहीं होता। सोचने का इतिहास पगडंडी, गली, सड़क नहीं। सोचना कदाचित् ही
तीसवीं गाड़ी धागे से बाँधी, यह नहीं सोचता कि दस सेकण्ड बाद दूसरी ओर से
तीसरा एक चक्के को लाठी से घुमाता आ रहा। ढलान के विपरीत चक्का लगातार
डगमगा रहा। सोचना यह कि चक्का नहीं आदमी डगमगाता। चक्का और खिलौना
गाड़ी की टक्कर। गाड़ी का उलटना। पहला तीसरे को देखता। तीसरे का आकार
देख आँखें छलछलातीं। सोचना कि वह भी उतना बड़ा होता तो चक्का चलाता।
सोचना कि फिर देखता। पहले के जितने आकार का दूसरा सिकुड़ कर एक ओर
होता। खिलौना गाड़ी खींचने वाला कुछ कहता और चक्का चलाने वाला गरजता।
सोचना कि इतिहास बदलना है। सोचने में क्रम आना है। सोचने में भविष्य में
तीसरे को प्यार से पहले को पुचकारना। सोचने में दूसरे को मुस्कराना। सोचने में
सबको मुस्कराना।