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सोच समझ कर करना / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
किसी को प्यार करो सोच समझकर करना,
दिल-ए-बेजार करो, सोच समझकर करना !
इश्क सुनता है भला कब नसीहतें किसकी ?
हज़ार बार करो, सोच समझ कर करना !
एक लम्हा है जो गुजरा तो फिर न आएगा ,
जो इंतजार करो, सोच समझ कर करना !
प्यार की हद से गुजरने की बात करते हो ,
हदें जो पार करो, सोच समझ कर करना !
जानलेवा तेरी नज़रों को, लोग कहते हैं ,
जो कोई वार करो, सोच समझ कर करना !
मैंने ‘आनंद’ के देखे हैं, अनगिनत चेहरे,
जो ऐतबार करो , सोच समझ कर करना !