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सोजा बिटिया / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सो जा, मेरी बिटिया रानी।
सो जा, सुख सपनों की रानी।
चंचल प्यारे भाव छिपे है,
बड़े बड़े भोले नयनों में।
सुनते कान मधुर झंकारे,
अस्फुट से तुतले बयनों में।
तू मेरी नन्ही सी साथिन।
युग युग की जानी पहचानी।
भोले भाले सरल प्रेम की,
तू सजीव प्रतिमा पावन है।
तेरी क्रीड़ाओं से मेरी,
बगिया सदा सुहावन है।
तू लक्ष्मी, तू सरस्वती है।
तू ही है गौरी कल्याणी।
धीरे धीरे चन्द्रकला सी,
बढ़ती जा मेरे आंगन में।
नित्य नयी क्रीड़ाएँ कर तू,
देखूं मैं उनको जीवन में।
ब्याह रचाकर सुन्दर वर से,
कर लूँगी अपनी मनमानी।