भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सोनल सुरज / श्याम महर्षि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धाबळौ
दूलड़ा चूड़ौ
पैर्यौड़ी लुगायां,
सड़क माथै
माटी ढोवै
भाटा-फौड़े
अर
पगडंडी सूं
बणावै उच्च मार्ग।

सिंझ्या
हांफीजती-हांफीजती
पूगै आपरी-झूंपड़ी मांय
अर
भूख सूं बाथंरड़ौ करते
टाबरां ने पोमावै।
थाक‘र सोय जावै
इण आस सूं
कै कदास
दिनूगै रो सूरज
हुवेलौ म्हारो
सोनल सूरज।