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सोलह / आह्वान / परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'
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मेरी रूठी राधा बोल
कन्हैया मिल जाये तो क्या लोगी, मुँह खोल-खोल
बजी वाँसुरी दूर गगन में, कम्पन तेरे शिथिल चरण में
तुम न बजाओ, लेकिन पायल बज उठी है छूम छनन में
अरी! तराजू पर जीवन के तू आँसू मत तोल
अशन-बसन मत त्याग राधिके! आयेंगे श्रे कृष्ण मनाने जाग
भोर-भोर तक मोर पंख तेरे पाँवों पर लोटेंगे, वरमाँग राधिके! मांग
चक्र सुदर्शन मुझे आज दो बरहस्त से खोल
फेंक पुराने सुर की वसी, आ मेरे पीछे यदुवंसी
मैं खेलूँ अहेर देखो तुम ओ! मानस के श्रजूतम हँसी।
अरी! माँग लो तुम अपने मधुमय जीवन का मोल
मेरी रूठी राधा बोल