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सो जा बिटिया, सो जा रानी / पद्मा सचदेव
Kavita Kosh से
सो जा बिटिया, सो जा रानी,
निंदिया तेरे द्वार खड़ी।
निंदिया का गोरा है मुखड़ा
चांद से टूटा है इक टुकड़ा,
नींद की बांहों में झूलोगी
गोद में हो जाओगी बड़ी।
निंदिया तेरे द्वार खड़ी!
सपनों में बहलाएगी वो
परीलोक ले जाएगी वो,
बांहों में लेकर उड़ जाए
तुम्हें बनाकर एक परी।
निंदिया तेरे द्वार खड़ी!
निंदिया तुझे झुलाए झूला
तुझे दिखाए तेरा दूल्हा,
घोड़े पर ले जाएगा वो
अपनी दुलहिन उसी घड़ी।
निंदिया तेरे द्वार खड़ी!