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सो जा मेरे राजदुलारे / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सो जा मुन्ने सो जा प्यारे
सो जा मेरे राज–दूलारे
सूरज घर जाकर सोया है
चन्दा देख रहा दर्पण
पेड़ सो गये, चिड़ियाँ सोई
तू भी सो जा रे मुनमुन
आँख मुंद अब सो जा रे
सो जा मेरे मुन्ने प्यारे
चिड़िया और चिरौटा वाली
सुना चुकी हूँ तुझे कहानी
घोड़ा एक बड़ा सुन्दर था
शहजादे की एक कहानी
नींद आ गई पास तुम्हारे
सो जा मेरे राजदुलारे
पलकें अब झुकतीं आती हैं
रंग भरे सपने लाती हैं
निंदिया तुझे बुलाती है
नहीं कहानी भाती है
मैं जागूँ तू सो जा रे
सो जा मेरे राज दुलारे