भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सो जा मेरे राजदुलारे / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सो जा मुन्ने सो जा प्यारे
सो जा मेरे राज–दूलारे

सूरज घर जाकर सोया है
चन्दा देख रहा दर्पण
पेड़ सो गये, चिड़ियाँ सोई
तू भी सो जा रे मुनमुन

आँख मुंद अब सो जा रे
सो जा मेरे मुन्ने प्यारे

चिड़िया और चिरौटा वाली
सुना चुकी हूँ तुझे कहानी
घोड़ा एक बड़ा सुन्दर था
शहजादे की एक कहानी

नींद आ गई पास तुम्हारे
सो जा मेरे राजदुलारे

पलकें अब झुकतीं आती हैं
रंग भरे सपने लाती हैं
निंदिया तुझे बुलाती है
नहीं कहानी भाती है

मैं जागूँ तू सो जा रे
सो जा मेरे राज दुलारे