भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सो जा सुख छैया / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सो जा तुझे सुलाती मैया
सो जा रे मेरे सुख छैया
सो जा मेरे कुंवर कन्हैया
सो जा मेरे राजा भैया
गोरी गोरी बड़ी सलोनी
सपने में परियाँ आयेगी
तुझसे खेलेंगी वे आकर
संग खिलौने भी लायेगी
चाँदी के झूले पर तुझको
झूला खूब झूलायेगी
गाना गाकर नाच-नाचकर
तेरा मन बहलायेंगी
सो जा बेटा सो जा अब तो
वे जल्दी ही आयेंगी