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सो जा सो जा प्यारे सो जा / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
यह है मेरा सुमन सलोना
अभी भी पलकें झपकी हैं
पवन गा रही मीठी लोरी
पत्ते भी देते थपकी हैं
सो जा सो जा प्यारे सो जा
ऊपर चंदा हँस कर कहता
हँसो हँसो तुम हँसो-हँसो रे
पर तारे उससे से कहते हैं
हमको तो तुम सोने दो रे
सो जा सो जा प्यारे सो जा
इस धरती पर सभी सो रहे
फिर हम ही क्यों जगे भला रे
ओ चंदा तुम भी सो जाओ
जागो किसने कहा भला रे
सो जा सो जा प्यारे सो जा
अहा मुस्कुराया अब ललूआ
सुन्दर सपना देख रहा
उतर चाँदनी आई है तो
अंधियारा भी पुलक रहा
सो जा सो जा प्यारे सो जा