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सो तुझे पलना झुलाऊँ / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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सो तुझे पलना झुलाऊँ
सो तुझे पंखा डुलाऊँ
डोर के संग आ रही है
नींद मीठी-सी सरकती
आ रहीं उड़कर सुनहरी
सपनों की परियाँ चमकती
ये मधुर क्रीड़ा करेंगी
सो तुझे इनसे मिलाऊँ
पवन लोरी गा रही है
रात ने सबको सुलाया।
किरण-डोरी ने गगन में
चाँद का पलना झुलाया।
मुंद ले तू पलक-अपनी
चाँद कह तुझको बुलाऊँ
बेटा सोजा आँख मुंद तू
सुन, तारे लोरी गाते हैं
इनकी तान अनोखी होती
तुझको गीत बहुत भाते हैं
नींद को मैं भी बुलाऊँ
सो तुझे पलना झुलाऊँ