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सौंफ, लौंग इलायची और कविता / नासिर अहमद सिकंदर

एक ऐसा डिब्बा
जिसमें
सौंफ, लौंग, इलायची के
अलग अलग खाने
वह अक्सर
मेहमानों के खाने के बाद
लाया जाता सामने
मैंने घर में
नई व्यवस्था दी
लाता हँू सामने
कविता की डायरी
क्योंकि मेरा मानना है
कविता के शब्द भी
इलायची की तरह ख्ुाश्बूदार
वाक्य लौंग की तरह
चिरमिराते जीभ को
और उसका कथ्य
सौंफ सा
जिसका रस लेना है
कुछ देर !