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स्कुल्या दिन / अनूप सिंह रावत

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स्कुल्या दिन
याद औणा छन
बालापन छौ जब
मयालु छौ मन,
अर कुंगुलू गात
बिंगोणु छु मी वा बात...

पैली बार गयुं जब
भैजी का दगडी
पाटी ब्वल्ख्या लेकी
गौं का स्कूल मा
दादा गैनी दाखिला कु
सर्या गौं मा भेली बंटे...

जाण दा उंदार छै
आण दा छै उकाळ
सुबेर-२ नै ड्रेस पैनी
स्कूला का बाटा लग्युं
सब कुछ आज मैं छु
मन मा ख़ुशी कु उमाळ...

मैं दगडा का गौं का
मेरा दगिद्या भी
नया-२ छाया स्कुल मा
गुरूजी देखि डैरी ग्युं
जोर से बोळी जब ऊन
पर ऊ मैं सिखाणा छाया...

पाटी ब्वल्ख्या से
कागज कलम पर ऐग्यु
बस्ता ह्वेगे छौ गरु
जनि अगिन्या बढ़दा रयुं
किताबों की बात मैं भी
खूब बिंगण बैठी ग्युं...

जनु-जनु बगत गाई
कक्षा अगिन्या बढदा राई
एक-द्वी-तीन-चार-पांच
बोर्ड का इंत्यान देकी
प्राइमरी से इंटर कॉलेज
मैं भी पौंछि गयुं...

यनु लगुणु छाई जनु
सर्या जगत मी जीती ग्युं
बहुत खुश नै स्कूल मा
वख़ अयान होरि भी
दूसरा गौं का स्कूल का
नया-२ दगिद्या बणी...

नै गुरूजी, नै स्कूल
जरा सी पैली अटपटू लगी
फिर सब अपड़ू सी
अब होरि दूर ह्वेगे छाई
पर मैं भी हिटण मा
अब खूब भलु ह्वेगे छाई

बगत बीती सरासर
दसवीं मा पौंछि गयुं
बोर्ड कु इंत्यान बळ
खूब पढे-लिखे कन लग्युं
फिर ह्वे बगत इंत्यान कु
पास ह्वेग्युं मैं भी...

फिर इंटर की बारी छाई
बगत भी दौडणु राई
अब बळ मी ज्व़ान ह्वेग्युं
समझदार बळ पैली से
गौ-गल्या, मुल्क की बात
खूब बिंगण मैं भी लग्युं...

देखदा-२ इंटर भी
पास करी याळ छौ
गरु भारु जनु मुंड मकी
भयं ढोलियाली छाई
असल दौड़ जीवन की
अब शुरू ह्वेगे छाई...।