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स्कूल / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
घंटी बजती है
बच्चे आते हैं
नींद में भरे-भरे
किताबों से लदे-लदे
घंटी बजती है
बच्चे जाते हैं
सहमे-सहमे, डरे-डरे
थके-थके और मरे-मरे
स्कूल में तितली नहीं दिखती
चिड़िया नहीं गाती
पानी कल-कल नहीं करता
पेड़ों की छाँव रूठ जाती है
बच्चों की दुनिया टूट जाती है
रचनाकाल : 1987