(राग विहाग)
स्तुति निन्दा, पूजा-घृणा, मधुर मान-अपमान।
रोग और नीरोगता, जीवन-मरण समान॥
सब ही प्रभु हैं, भरे हैं सबमें नित भगवान।
खेल विविध विधि कर रहे, रच बहु भाव-विधान॥
(राग विहाग)
स्तुति निन्दा, पूजा-घृणा, मधुर मान-अपमान।
रोग और नीरोगता, जीवन-मरण समान॥
सब ही प्रभु हैं, भरे हैं सबमें नित भगवान।
खेल विविध विधि कर रहे, रच बहु भाव-विधान॥