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स्तुति / अज्ञात हिन्दू महिला

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इस दुनिया में दो दिन गुजारा है अब;
नहीं यहाँ किसी का इजारा है अब।
तेरे तक अक़्ल को रसाई नहीं;
इसी जापै इंसान हारा है अब।

जो दुनिया में आवें तेरी याद में;
जो दुनिया से जावें तेरी याद में।
न निकलें ज़बाँ से कोई और बात;
हरेक हर्फ़ निकले तेरी याद में।

न भूले से आवे किसी का ख़याल;
जो हो दिल की ख़्वाहिश तेरी याद में।

न हर्गिज़ हो मुझसे कोई फैल-बद;
हो सब काम मेरे तेरी याद में।

अब है दिल की ये आरज़ू ऐ ख़ुदा!!
मेरी जान जावे तेरी याद में।