भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्त्रियाँ-2 / जया जादवानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जैसे हाशिए पर लिख देते हैं
बहुत फ़ालतू शब्द और
कभी नहीं पढ़ते उन्हें
ऐसे ही वह लिखी गई और
पढ़ी नहीं गई कभी
जबकि उसी से शुरू हुई थी
पूरी एक क़िताब...।