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स्त्रियाँ / सुशान्त सुप्रिय

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हरी-भरी फ़सलों-सी
प्रसन्न है उनकी देह
मैदानों में बहते जल-सा
अनुभवी है उनका जीवन
पुरखों के गीतों-सी
खनकती है उनकी हँसी
रहस्यमयी नीहारिकाओं-सी
आकर्षक हैं उनकी आँखें
प्रकृति में ईश्वर-सा मौजूद है
उनका मेहनती वजूद

दुनिया से थोड़ा और
जुड़ जाते हैं हम
उनके ही कारण