भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्त्री-पुरूष (21) / कमलेश्वर साहू
Kavita Kosh से
पुरूष चूँकि राजा था
उसे रानी की जरूरत महसूस हुई
राज्य के सबसे सुन्दर स्त्री का वरण किया
पुरूष चूंकि राजा था
एक रानी के भरोसे कैसे जीता
सो रानियों की संख्या बढ़ती गई
राजा बूढ़ा होता जा रहा था
पुरूष चूंकि राजा था
रानियां सुन्दर और जवान ही चाहिए
देखते ही देखते
राजमहल के कितने ही कमरों में
स्त्रियों की सिसकियां दम तोड़ने लगीं
राजमहल के कितने ही कमरे
कबाड़खाने में बदल गये
और रानियां कबाड़ में
हमें याद रखना चाहिए
रानियां
स्त्री थीं !