स्त्री का साथ / येव्गेनी येव्तुशेंको
हमेशा मिल जाएगा
किसी स्त्री का हाथ
जो अत्यन्त सहजता व सरलता के साथ
प्रेम करेगा तुझ से
और स्नेह के साथ तुझे सहलाएगा
सान्त्वना देगा और तेरा मन बहलाएगा
हमेशा मिल जाएगा
किसी स्त्री का कन्धा
जिसमें मुँह छिपाकर
तू गरम-गरम साँस ले
मन अशान्त हो जब तेरा
नींद खड़ी हो दूर कहीं जब
सिर टिका उस कन्धे पर
गहरी-गहरी उसाँस ले
हमेशा मिल जाएँगी
किसी स्त्री की आँखें
जो साक्षी होंगी तड़प की तेरी
दुःख, पीड़ा, कष्ट सब दूर करेंगी
दूर करेंगी तेरा दर्द
जब मौसम होगा बेहद सर्द
लेकिन ऐसा एक स्त्री का हाथ
जो रहता सदा मेरे साथ
विशेष रूप से मुझे प्रिय है
जब वेदना मुझको घेरे
मेरे माथे को सहलाए
मेरा भाग्य वह, मेरा हिय है
लेकिन ऐसा एक स्त्री का कन्धा
जो माने मुझे प्रभु का बन्दा
जिस पर रोऊँ टिकाकर सिर
जो दे सहारा मुझे फिर-फिर
और ऐसी उस स्त्री की आँखें
जो मुझे देख फैलाए पाँखें
आर्द्र प्रेम में मुझे समो लें
मेरे हृदय के भीतर झाँकें
जब-जब मेरा मन उदास हो
मेरी व्यथा का उन्हें भास हो
पर मैं रहता रहा सदा ही स्वयं अपने प्रतिकूल
अपने लिए बोता रहा अपने हाथों शूल
हाथ मुझे वह कम लगता
कन्धा भी कभी बेदम लगता
उन आँखों में ग़म लगता
कितनी ही बार किया मैंने
उन पर यह आघात
छोड़ उन्हें मैं आया घर पर
कहीं और बिताई रात
और जब समय प्रतिशोध का आया
मुझे सज़ा दे मेरी माया
धोखेबाज़ कह
बारिश पीटे मुझे लगातार
विश्वासघाती कह
टहनियाँ करें मेरे चेहरे पर वार
सँघाती है
गूँजे इस वन में यह स्वर बार-बार
मैं उदास हो जाता हँ
क्षमा स्वयं को नहीं कर पाता हूँ
सिर्फ़ वही विलक्षण हाथ
आएगा जब मेरे पास
और थका कन्धा वही
छिपाएगा अपने भीतर कहीं
और वे हसीन उत्सुक आँखें
घेरेंगी मुझे फैला पाँखें
क्षमा तभी मैं पाऊँगा
नहीं कहीं फिर जाऊँगा