स्थितिबोध / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
सौसे संसार एक समाज छेकै
ऐकरोॅ हर एक इकाई
छोटोॅ या बड़ोॅ/कारोॅ या गोरोॅ
विनाश के कगार पर खाड़ोॅ छै
कोय आपनोॅ ताकत तौली रहलोॅ छै
कोय बुद्धि के वैभव देखाय रहलोॅ छै
पाक, चीन सबसें आगू बढ़ी केॅ
‘डिक्टेटर’ चलाय रहलोॅ छै
आतंक, हत्या, लूट रोॅ ठीकेदार बनी केॅ।
आरो भारत
शांति, सहिश्णुता के चोला पिन्ही केॅ
हाथोॅ में लैकेॅ भूखमरी, गरीबी आरो
बेकारी रोॅ दस्तावेज
निर्णय नै करै के हालतोॅ में
भय, फरेब, झूठ रोॅ मुखौटा लगाय केॅ
दुनिया घूमै के मजा लै रहलोॅ छै
‘निर्भया’ के अस्मत लूटेॅ तेॅ लूटेॅ
घोटाला पर घोटाला हुअेॅ तेॅ हुअेॅ
सीमा पर सैनिक मरेॅ तेॅ मरेॅ
कारगिल युद्ध फेरू सें हुअेॅ तेॅ हुअेॅ
सŸाा आकि विपक्ष में बैठलोॅ सबके सब नेता केॅ
वोट के राजनीति सें ऊपर उठी केॅ
सोचै के फुरसत केकरौह नै छै
तुश्टीकरण आरो लीपापोती के नीति पर
चली रहलोॅ ई व्यवस्था केॅ बदलै के जरूरत छै।
देशद्रोह तक के समर्थन करैवाला
ई व्यवस्था सें हमरा घृणा छै।