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स्नेह नदी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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स्नेह नदी
(हर्ष उल्लास चित्रण)
मिला स्नेह मुझको
जब मधुर तुम्हारे मुख से
बैठे रहे हरे वृक्षों के नीचे
हम सुख से
बाँहों में बाँहें धर,
मेरे उर से लग कर
हंसती रही चांदनी-सी
निर्मल तुम दिन भर।
( स्नेह नदी कविता का अंश)