प्रवासोन्मुख नायक - मीन युगल पुनि कलश दुइ भरल पुरल अवलोकि
शुभ शकुनहु देलक तदपि पथिक क जतरा रोकि।।1।।
शब्दचित्र - पान अधर नहि, स्याह पड़ बिरहिनि मन बदरंग
चौखुट चहकय चड़इ, मधु पत्ती - पत्ती रंग।।2।।
दूती - विरहक अगम प्रवाह अछि, प्रिया बसय ओहि पार
दूती तरणी बल तरुण चाहय उतरय पार।।3।।