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स्मृतियाँ मेरी निगरानी करती हैं / टोमास ट्रान्सटोमर / मोनिका कुमार
Kavita Kosh से
जून की एक सुबह
जब जग जाने के लिए
यह समय अभी जल्दी होगा
और फिर से जाकर सोया जाए
उसके लिए देरी हो चुकी है
मुझे बाहर हरियाली में
चले जाना चाहिए
उस हरियाली में
जो स्मृतियों से भरी पड़ी है
स्मृतियाँ
जो अपनी आँखों से
मेरा पीछा करती हैं
ये स्मृतियाँ दिखाई नहीं देतीं
कुशल गिरगिट की तरह
पृष्ठभूमि में पूरी तरह घुल जाती हैं
ये इतनी करीब हैं
कि मैं इन्हें साँस लेते हुए
सुन सकता हूँ
हालाँकि पँछियों का कलरव
कानों को बहरा कर देने वाला है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मोनिका कुमार