भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्मृतियाँ मेरी निगरानी करती हैं / टोमास ट्रान्सटोमर / मोनिका कुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जून की एक सुबह
जब जग जाने के लिए
यह समय अभी जल्दी होगा
और फिर से जाकर सोया जाए
उसके लिए देरी हो चुकी है

मुझे बाहर हरियाली में
चले जाना चाहिए
उस हरियाली में
जो स्मृतियों से भरी पड़ी है

स्मृतियाँ
जो अपनी आँखों से
मेरा पीछा करती हैं
ये स्मृतियाँ दिखाई नहीं देतीं
कुशल गिरगिट की तरह
पृष्ठभूमि में पूरी तरह घुल जाती हैं

ये इतनी करीब हैं
कि मैं इन्हें साँस लेते हुए
सुन सकता हूँ
हालाँकि पँछियों का कलरव
कानों को बहरा कर देने वाला है

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मोनिका कुमार