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स्मृतियाँ / निरुपमा सिन्हा
Kavita Kosh से
मिस्र की पिरामिडों में
रखी लाशों की तरह
पूरे ज़िस्म में
सुरक्षित हैं
लेप लगाये हुए
स्मृतियाँ
संरक्षण की खोज ही
शायद
हुई होगी
इन्हीं स्मृतियों के
खो जाने के भय से
पिरामिडों के ठीक पीछे
दफ़न है
इन्हें पुनः जीवित कर देने का रहस्य
लेकिन
कोई उस कला को
सीखना नहीं चाहता
अच्छी लगती है
सबको शांत .....नीद में लेटी
मूक स्मृतियाँ
आवश्यकतानुसार
धीरे - धीरे
खुद की ओर से
खुले हुए दरवाजों से
प्रवेश करना
जहाँ से दूसरे का
दखल बंद हो!!