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स्मृति / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
उँगलियों की स्मृति में है
स्पर्श,
बाँहों की स्मृति में है
गलबाँह,
वक्ष की स्मृति में है
आलिंगन,
होंठों की स्मृति में है
चुम्बन
स्मृति और कुछ नहीं चाहती
स्मृति चाहती है :
फिर से हरी हों स्मृतियाँ ।