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स्याह चन्द्रमा / अनुभूति गुप्ता
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स्याह चन्द्रमा
दुःख की कथाएँ
कहता है
उसकी
दर्द-भरी याचनाएँ
सुनने को
कोई सहचर पास नहीं,
किसी से कोई आस नहीं।
आसमान काँपता है
वेदना कराहती है
हवा बेतुकी बातें करती है
धुएँ की ओट में
सभी कामनाएँ
स्याह चन्द्रमा की
पलभर में
ओझल हो जाती हैं।