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स्वच्छ भारत / लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’
Kavita Kosh से
’’स्वच्छ भारत अभियान‘‘ नहीं
यह प्रगति पथ की सीढ़ी है
देश हमारा स्वच्छ रहे
जागरूक हुई नव-पीढ़ी है
सोच और परिवेश भी बदला
आवश्यक आदत बदले
इस मूलभूत दिनचर्या को
चलो अपनाएं सबसे पहले...
आस पास जब स्वच्छ रहे
तभी स्वस्थ रहेगा ये तनमन
मनमोहक वातावरण रहे
आनंदित गुजरेगा जीवन...
फेंक रहे जो गलि-मुहल्ले
अपने घर का गंद कहीं
उस मलवे के ढेरों से क्या
उठे कोई दुर्गंध नहीं...?
हैं जीवाणु, कई रोगों के
लहराते इन्हीं फिजाओं में
दम भर-भर सांसे हम लेते
इन दूषित हुई हवाओं में....
बीमार अगर जब होंगे
बीमार पड़ेगी बस्ती भी
संपत्ति होती है, सेहत!
फिर... लाख दवा हो सस्ती भी..!
हम स्वच्छ बनाएं घर अपना
हर गली-मुहल्ला निर्मल हो।
घर, शहर, देश सब स्वच्छ रहे
और स्वच्छ हमारा भू-तल हो।।