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स्वतंत्रता / शशि सहगल
Kavita Kosh से
अमरीका में है
आज़ादी की मूर्त्ति
उस मूर्त्ति का
केवल धड़ है सिर नहीं।
सिरकटी आज़ादी
बड़ी भयावह होती है
क्योंकि समझ नहीं पाती वह
आज़ादी का अर्थ
फिर
इस बेसिर की आज़ादी का
मतलब ही क्या है?