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स्वप्न की आँखों में स्वप्न / पुष्पिता
Kavita Kosh से
जल की
पारदर्शी आँखों में
नदी बनने के स्वप्न
नदी की
तरल आँखों में हैं
समुद्र बनने के स्वप्न
समुद्र की
तूफानी आँखों में हैं
बादल बनने के स्वप्न
बादल की
घुमड़ती आँखों में हैं
तृषित को तृप्त करने के स्वप्न
मेरी
आतुर आँखों में हैं
तुम्हारे लिए स्वप्न
जैसे
पृथ्वी की आँखों में है
सुख-स्वप्न।