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स्वप्न भंग / न्गुएन चाय / कुसुम जैन
Kavita Kosh से
स्वर्णिम स्वप्न से जागने पर
नहीं रहता शेष
लगता है सब कुछ हो जैसे रिक्त
अच्छा होगा पहाड़ पर
बनाएँ एक कुटी
उसमें रहें,
पढ़ें प्राचीन ग्रंथ
और हों संतुष्ट
जंगल में खिलते
फूलों को सुनते हुए
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कुसुम जैन