भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वप्न हैं अरमान हैं प्यारे वतन तेरे लिये / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वप्न हैं अरमान हैं प्यारे वतन तेरे लिये
जान भी कुर्बान है प्यारे वतन तेरे लिये

कल्पनायें कीं अनेकों तू रहे आगे सदा
प्रगति का सोपान है प्यारे वतन तेरे लिये

हृदय की धड़कन हमेशा गीत तेरे गा रही
ये खिली मुस्कान है प्यारे वतन तेरे लिये

तेरी खातिर हर असम्भव को करें सम्भव सदा
ये हमारी आन है प्यारे वतन तेरे लिये

भूल जो हम से हुई इतिहास ने बतला दिया
ले लिया संज्ञान हैं प्यारे वतन तेरे लिये

जलजला है जोश का उठती उमंगें वेग से
प्यार का तूफान है प्यारे वतन तेरे लिये

सरहदों पर दें बना दीवार अपनी देह की
ये हमारी जान है प्यारे वतन तेरे लिये