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स्वप्न / अमृता भारती
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वह मेरा
हर स्वप्न चुरा लेता था
कि मैं
गहरी नींद में सो सकूँ ।
जागने पर
उसने
एक-एक कर
लौटाए थे
मेरे स्वप्न
'शिलातल' की मुग्धता में ।