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स्वयंवर / मोहिनी सिंह
Kavita Kosh से
मेरी दुनिया में रोज़ सूरज कूदता है
पश्चिम की कुंवारी नदी में
और दुनिया के लोग तब आंखें मूँद लेते हैं
जब हो रहा होता पानी का रंग लाल।
फिर सुबह उठके उस कुलीन सूर्य के आगे हाथ जोड़ने को।
और मैंने उन्हें कहते सुना है कि
नदी का पानी मलिन हो गया है।