भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वयंवर / मोहिनी सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी दुनिया में रोज़ सूरज कूदता है
पश्चिम की कुंवारी नदी में
और दुनिया के लोग तब आंखें मूँद लेते हैं
जब हो रहा होता पानी का रंग लाल।
फिर सुबह उठके उस कुलीन सूर्य के आगे हाथ जोड़ने को।
और मैंने उन्हें कहते सुना है कि
नदी का पानी मलिन हो गया है।