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स्वर्ग के अवसान का अवसान / हरिवंशराय बच्चन

स्वर्ग के अवसान का अवसान!

एक पल था स्वर्ग सुन्दर,
दूसरे पल स्वर्ग खँड़हर,
तीसरे पल थे थकिर कर स्वर्ग की रज छान!
स्वर्ग के अवसान का अवसान!

ध्यान था मणि-रत्न ढेरी
से तुलेगी राख मेरी,
पर जगत में स्वर्ग तृण की राख एक समान!
स्वर्ग के अवसान का अवसान!

राख मैं भी रख न पाया,
आज अंतिम भेंट लाया,
अश्रु की गंगा इसे दो बीच अपने स्थान!
स्वर्ग के अवसान का अवसान!