भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वर्ग में भगोड़े / स्वप्निल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भगोड़े स्वर्ग में छिपे हुए हैं
और हम उन्हें नर्क में खोज
रहे हैं ।

वे पुष्पक विमान से उड़ कर
इन्द्रलोक में छिप गए हैं
और इन्द्रसभा की शोभा बढ़ा रहे हैं ।

अप्सराओं के मादक नृत्य चल
रहे हैं,
चषक में ढाली जा रही है
मदिरा,

जिस अदालत में उनके लिए
सज़ा प्रस्तावित है, उसे देवलोक ने
माफ़ कर दिया है ।