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स्वर्ग में मिलभौं / गुरेश मोहन घोष

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आवै काल विनासै बुद्धि मौतें माथोॅ फेरलेॅ छै
अबकी सौसें पाक गमैतै कालें एकरा घेरलेॅ छै
मरनकाल के खोटा छेकै देखौ एकरा पाँख भेलोॅ छै
दुबरी बकरी ठट्ठा करेॅ ई हुलाड़ के लग ऐलोॅ छै
लतकुच्चा सें तों नै पारोॅ, मारलेॅ जा तों ‘अबरी मारोॅ’
थेथरोॅ पाकिस्तानी ई छै कब्बड़ खानोॅ जल्दी गाड़ोॅ
समझै छेलियौ पाक छेकैं तों पर दुनिया के पाप छेकें तों
नाम ‘शरीफ’ देलेॅ छौ कौनें, शैतानोॅ के बाप छेकें तों
क्षमादान बन्दी फौजी के जितलोॅ धरती के लौटाय छै
पर कुत्ता के दुम नै सोझोॅ, कत्तो वै में घी पिलाय छै
जे हमरोॅ जों तोरोॅ छेकौ तोरो सौंसे हमरे छेकौ
ई विचार छौ कत्ते सुन्नर सौंसे पाक भारत रोॅ छेकौ
लाल सिनूर मांगोॅ के दै केॅ आय गोदी के लाल निकालें
लाल जवाहर हीरा माय गे जल्दी जेवर लाल निकालें
राखी लाल लहू के टिक्का अमर शहीद के बहिना दै दे
खलबल खौलै खून लाल छौ जे जेना छौ वही ना दै दे
वीर बहादुर बन्दूक तानें फाँड़ोॅ कस्सी सीमा फानें
धूर्तो ॅ के विश्वास नै करियोॅ सौंसे कश्मीर भैया लानें
ई धरती केॅ स्वर्ग बनैवै, देवी अब स्वर्गो ॅ में मिलभौं
जल्दी हँसलोॅ विदा करोॅ तों रणचण्डी के पूजा करभौं ।