स्वर्ग लोक की परी धरा पर आयी है।
सूने घर में गूँज उठी शहनाई है॥
हाल न पूछो मेरे दिल की खुशियों का
घर उपवन में एक कली मुस्कायी है॥
मेरे दामन के नन्हे से कोने ने
खुशबू सारे जग में आज लुटायी है॥
मेरे अरमानों का रूप निखर आया
मन की इच्छा रूप बदल कर आयी है॥
सारे सपने जाग उठे ले अँगड़ाई
हमने हँसती गाती गुड़िया पायी है॥
जब जब देखूँ इसे ह्रदय में आस जगे
यह तो मेरे सपनों की परछाई है॥
नन्हा-सा यह टुकड़ा है मेरे दिल का
यह मत कहना बेटी हुई परायी है॥