भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वर्ग / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़
Kavita Kosh से
स्वर्ग है
वहाँ उस जगह
ख़ुशी है
जहाँ हर जगह।
गाते हों
पशु-पक्षी जहाँ —
गाता हो
सारा जहां।
किसी पत्थर से पूछो —
कहो, तुम हो कैसे?
तो वह भी जवाब देता है —
अच्छा हूँ! और तुम कैसे?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’