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स्वर्ण किन्नरी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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झनझना उठी झिल्ली,
झिन-झिन दुर्वा से होकर गई कौन ?
क्रुद्ध नागिनी-सी
अपने फन सहस पटकती
गर्जन करती, तर्जन करती,
मुख से गरल उगलती ।