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स्वाँग / महेन्द्र भटनागर

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मुझे
कृत्रिम मुसकराहट से चिढ़ है !

कुछ लोग
जब इस प्रकार मुसकराते हैं
मुझे लगता है
डसेंगे !
अपने नागफाँस में कसेंगे !

यही
अप्रिय मुसकराहट
शिष्टाचार का जब
अंग बन जाती है,

कितनी फीकी
नज़र आती है !
मुझे
इस कृत्रिम फीकी मुसकराहट से
चिढ़
बेहद चिढ़ है !